Wednesday, March 10, 2021

बदल गया हूँ मैं

हाँ, बदल गया हूँ मैं ,

खुद के ही नए हिस्से से मिला हूँ मैं | 

नहीं जानता था कल तक मैं इसे ,

पर वक्त और हालात ने मिला दिया मुझे इससे | 

मानू या ना मानू, ये मेरा ही हिस्सा हैं ,

मेरी कहानी का ये भी एक किस्सा हैं | 

खुद को ही जानने कि कोशिश कर रहा हूँ ,

नए आज को समझने कि कोशिश कर रहा हूँ | 

प्यार है अगर मुझसे, तो तु भी इसको जान ले ,

मोहब्बत है अगर मुझसे, तो तु भी इसको मान ले | 

तुने मुझे बदलते हुए देखा हैं ,

और शायद इसी का तुझे गिला है | 

पर इस पर मेरा कोई जोर नहीं ,

वक्त और हालात ने मुझे यहाँ धकेला है | 

जाना है तो रोकूँगा नहीं मैं तुझे ,

मगर आज भी है मुझे मोहब्बत तुझसे | 

वक्त के साथ शायद तुझे भी भूल जाऊँगा ,

बदले जो हालात, तो शायद फिर बदल जाऊँगा | 

पर पहले जैसे भी हूँ मैं ,

मगर हाँ, बदल गया हूँ मैं | 


                                 - प्रेरणा राठी 




Sunday, March 7, 2021

बाकी है|

दिल तो टूट ही चुका है, बस साँसो का बिखरना बाकी है| 

रूह तो जुदा हो ही चुकी है, बस इस जिस्म का फ़ना होना बाकी है| 

खुशियाँ तो बहुत बाँट ली हमने, अब बस गुनाह कमाना बाकी है| 

उस खुदा को बहुत मान लिया, अब बेख़ुदाई करना बाकी है| 

वफा तो कर ली हमने, अब बेवफाई करना बाकी है| 

बहा लिए आँखों से आँसू भी हमने, अंगारों का बरसना बाकी है| 

मोहब्बत तो कर ही लि हमने, अब नफरत का होना बाकी है| 


                                     - प्रेरणा राठी 

Monday, March 1, 2021

दर्द

इस दर्द से गिला क्यों करता है,

ये दर्द ही तो तेरा सच्चा साथी है| 

एक दिन छुड़ा लेगा हाथ ये जमाना तुझसे,

मगर दर्द को तो है मोहब्बत तुझसे| 

ज़िंदगी की राहों में तेरे साथ चलता जाएगा,

बिना रुके, बिना थके, सहारा तुझे देता जाएगा| 

राहें जानी-पहचानी हो, या अनजान हो,

दर्द की ना कोई सुबहः हो, ना ही कोई रात हो| 

पूछते है लोग, कौन किसके प्यार में जान देता है?

दर्द तो वो आशिक़ है जनाब, जो कबर में भी साथ सोता है| 


                               - प्रेरणा राठी 


क्या खोज रहा हूँ

दर्द-ए-दिल की दवा नहीं, जबाँ खोज रहा हूँ, सही गलत तू देख लेना, तालीम की राह खोज रहा हूँ|  शायर हू, शायरी नहीं आशिक़ी खोज रहा हूँ, बरसांते तो ...