Wednesday, October 14, 2020

मौत का धंधा

जब मौत को गले लगाया, 
तब दुनिया का एक और सच सामने आया। 
सुना था, मरने के बाद सारी परेशानियाँ खत्म हो जाती हैं, 
सुकून होता है और रुह को जन्नत मिल जाती हैं। 
मैं भी चढ़ा था उस खुदा के घर की सीढ़ियाँ, 
पर न आया वो बाहर, न खोली उसने खिडकियाँ। 
फिर कही से एक आवाज़ आई-
तु तो मर कर भी नहीं मर पाया, 
इस दुनिया ने तुझ पर मुकदमा हैं चलाया। 
जा पहले उन से अर्जी लेकर आ, 
इस दुनिया से मुक्ती लेकर आ। 

तुझे अपने घर में पनाह नहीं देनी तो मत दे, नाटक क्यों करता है, 
जिन्होंने मेरी मौत का षड़यंत्र रचा, उन्हीं से भीख माँगने को कहता है। 
क्या फर्क पडता हैं, मैने खुदखुशी कि या उन्होनें मुझे मार डाला, 
दोनों ही तस्वीरो में, कीचड़ मुझ पर ही तो उछाला। 
मेरे शरीर को कभी नहीं अपनाया,
और आज मेरी रूह पर भी है दाग लगाया। 
और तु कहता है कि इन फर्जी लोगों कि अर्जी लेकर आऊ, 
मुकदमा जो चलाया इन्होनें मुझ पर, उसमें बेकसूर साबित होकर आऊ। 
ओ मेरे खुदा, तु कितना भोला है, जाकर नीचे तो देख, 
नरक से भी बत्तर सर्वग, इंसान ने खोला हैं। 
पर तुझसे क्या शिकायत करू, तु तो अपना काम कर रहा है, 
जन्नत मिले उसी को, जो बेगुनाह है। 
बर्बाद तो मुझे तेरी बनाई दुनिया ने कर दिया, 
छीन ली मेरे पैरों से जमींन, अब आसमान भी ले लिया। 
पर अगर तु चहाता हैं, तो थोड़ा और भटक लूगाँ, थोड़ा और तड़प लूगाँ, 
जब तक बेगुनाह साबित नहीं हो जाता, बर्बादी का दर्द थोड़ा और सह लूगाँ। 
पर तुझसे एक वादा मैं लेना चहाता हुँ, 
होगा इस मुकदमे का अंत, बस इतना यकीन दिला दे तू। 
क्योंकि मुझे इस दुनिया पर पूरा भरोसा है, ये मुझे कभी रिहा नहीं होने देगें, 
मेरी मौत को धंधा बनाकर हर रोज बाजार में बेंचेगे। 

                          - प्रेरणा राठी

Thursday, October 8, 2020

बेटियाँ

तुमने बचपन छीन लिया मेरा, 
बन गई खिलौना मैं तेरा। 
पडा मुझ पे तेरा साया जब से, 
भूल गई मैं मुस्कुराना तब से। 
मेरे सपनो का महल तोड़ दिया तुमने, 
मेरी रूह तक को झनझोड दिया तुमने। 
मेरी पायल को तुमने बेडियो में बदल दिया, 
मेरी महंदी को तुमने लाल रंग से रंग दिया।
 मेरे आसू देख मेरे माँ-बाप भी रोते है, 
और शायद इसीलिए,
लोग बेटी को पैदा करने से पहले हजार बार सोचते हैं। 
ऐ इंसान, खुदा भी जब तुझे देखता होगा, 
बन गया तु हैवान कैसे, वो भी सोचता होगा। 
लेकिन एक वक्त ऐसा भी आएँगा, 
जब तु अपनी ही परछाई से मुँह छिपाएँगा।
जब आएँगी वो तेरे घर,
तब शायद तुझे समझ आएँगा। 
जब पुकारेगी वो तुझे बाबा कहकर, 
तब तु अपनी गलती पर पछता भी न पाएँगा। 
लेकिन अब तो ये भी पता नहीं, 
बाबा शब्द का अर्थ, क्या तु समझ भी पाएँगा। 
तु इंसान हैं, न जाने कब हैवान बन जाएँगा, 
और उसकी रूह तक को भरे बाजार में नीलाम कर आएँगा। 


                           - प्रेरणा राठी



क्या खोज रहा हूँ

दर्द-ए-दिल की दवा नहीं, जबाँ खोज रहा हूँ, सही गलत तू देख लेना, तालीम की राह खोज रहा हूँ|  शायर हू, शायरी नहीं आशिक़ी खोज रहा हूँ, बरसांते तो ...