Sunday, November 19, 2023

क्या नाम दू

तेरे बिना सब कुछ अधूरा सा लगता हैं ,

तू पास हो तो डर सा लगता हैं | 

कभी पढ़ लू तुझे आयत की तरह ,

दूसरे पल इस दुनिया की तरह भुला भी दू | 

कर लू इबादत तेरी उस खुदा की तरह ,

फिर नफरत की आग में तुझे जला भी दू | 

याद भी चुभती है तेरी सीने में किसी तीर की तरह ,

जख्मों पर अपने तेरी बेवफाई का मरहम ही लगा लू |

रिश्ता हमारा किनारे और समंदर की लहरों की तरह ,

छू कर तुझे फिर समंदर में जा मिलु | 

ना जाने ये रिश्ता है किस रिश्ते की तरह ,

इस रिश्ते को क्या नाम दू | 


                - प्रेरणा राठी 






4 comments:

  1. Very nice, dear! It was heartwarming and heart-wrenching at the same time!🤩🤩

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  2. Your poem is like a gentle breeze, simple yet deeply touching.

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  3. I haven’t seen something like this before!🌼😍❤️
    Warm Regards
    Prachi

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