तेरे बिना सब कुछ अधूरा सा लगता हैं ,
तू पास हो तो डर सा लगता हैं |
कभी पढ़ लू तुझे आयत की तरह ,
दूसरे पल इस दुनिया की तरह भुला भी दू |
कर लू इबादत तेरी उस खुदा की तरह ,
फिर नफरत की आग में तुझे जला भी दू |
याद भी चुभती है तेरी सीने में किसी तीर की तरह ,
जख्मों पर अपने तेरी बेवफाई का मरहम ही लगा लू |
रिश्ता हमारा किनारे और समंदर की लहरों की तरह ,
छू कर तुझे फिर समंदर में जा मिलु |
ना जाने ये रिश्ता है किस रिश्ते की तरह ,
इस रिश्ते को क्या नाम दू |
- प्रेरणा राठी
Very nice, dear! It was heartwarming and heart-wrenching at the same time!🤩🤩
ReplyDeleteYour poem is like a gentle breeze, simple yet deeply touching.
ReplyDeleteI haven’t seen something like this before!🌼😍❤️
ReplyDeleteWarm Regards
Prachi
Nyc
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