इस दर्द से गिला क्यों करता है,
ये दर्द ही तो तेरा सच्चा साथी है|
एक दिन छुड़ा लेगा हाथ ये जमाना तुझसे,
मगर दर्द को तो है मोहब्बत तुझसे|
ज़िंदगी की राहों में तेरे साथ चलता जाएगा,
बिना रुके, बिना थके, सहारा तुझे देता जाएगा|
राहें जानी-पहचानी हो, या अनजान हो,
दर्द की ना कोई सुबहः हो, ना ही कोई रात हो|
पूछते है लोग, कौन किसके प्यार में जान देता है?
दर्द तो वो आशिक़ है जनाब, जो कबर में भी साथ सोता है|
- प्रेरणा राठी
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