Monday, December 4, 2023

क्या खोज रहा हूँ

दर्द-ए-दिल की दवा नहीं, जबाँ खोज रहा हूँ,

सही गलत तू देख लेना, तालीम की राह खोज रहा हूँ| 


शायर हू, शायरी नहीं आशिक़ी खोज रहा हूँ,

बरसांते तो बहोत देखी हमने, चाय की प्याली खोज रहा हूँ| 


जन्नते तो मिलती नहीं, अपनी ज़मीं खोज रहा हूँ,

पतछड़ के मौसम में, फूलो कि एक डाली खोज रहा हूँ 


इश्क एक आग का दरिया है, नाव खोज रहा हूँ,

किनारों कि तो तमन्ना नहीं, दरिया में पानी खोज रहा हूँ| 


खुदा को पाने कि आस तो कब की छोड़ चुके,

खुदाई से रिहाई कि राह खोज रहा हूँ| 


ना यार से, न जहान से बची है कोई उम्मीदें,

फिर भी न जाने किस मर्ज़ कि दुआ खोज रहा हूँ| 


होकर भी इस दुनिया में नहीं हू मैं,

फिर भी ना जाने क्या खोज रहा हूँ| 


                       - प्रेरणा राठी 




उसके बटुए में, और मेरी किताबों में, आज भी तस्वीर किसी और की मिलती हैं, कहने को तो हम जीवन साथी है, पर इश्क़ में तक़दीरें सबकी कहाँ बनती हैं | ...