ये जो आसमान में लहरा रहा हैं,
वो तिरंगा हमारा हैं।
जो कीचड़ में भी खिल जाए,
वो कमल हमारा हैं।
बरसते बादलों के बीच,
जो अपने पंख फैला कर नाच रहा हैं,
वो मोर हमारा हैं।
जिसकी दहाड से ही, दुश्मन कांप उठे,
वो शेर हमारा हैं।
अपनी मिट्टी के एक कण के लिए भी,
जो अपना खून बहा दे,
वो जवान हमारा हैं।
लगाई मंगल पर मोहर जिसने सबसे पहले,
वो मंगलयान हमारा हैं।
जमाने की लाख कोशिशो के बावजूद,
जो आगे बढ़ रहा हैं,
वो हिंदुस्तान हमारा हैं।
- प्रेरणा राठी
Very good prerana I liked it
ReplyDeleteH
ReplyDeleteAmazing poem Prerna, asey he sabko Prerna deti rahe
ReplyDeleteLots of love - G
Too good prerna ! You are such an inspiration to us. Best wishes !!!
ReplyDeleteLovely... jai hind
ReplyDeleteMarvellous Prerna 😍 happy Independence Day 🇮🇳
ReplyDeleteExemplary work!
ReplyDeleteWell penned 🌼
ReplyDeleteBeautiful poem Prerana😍
ReplyDeleteBeautifully connected
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteReally appreciate your poetry❤ Jai hind🇮🇳
ReplyDelete