बात करने का मन तो करता है तुमसे,
लेकिन हिम्मत नहीं होती |
तुम पूछोगे कि, "कैसे हो तुम"?
हर दर्द की सुबह नहीं होती |
तुम्हारे इस सवाल से,
हमारे अंदर तूफ़ान आ जाता है,
क्या कहे, क्या ना कहे,
दिल कुछ समझ नहीं पाता है |
तुम्हे अपना हाल समझाए कैसे,
एक बार ये ख्याल आता है |
"हम ठीक है", कह कर
हमारे होंठो से मुस्कुराहट का,
साया भी चला जाता है |
ये सवाल हम तुमसे,
पूछने से भी डरते है,
ना जाने क्या - क्या कहोगे तुम,
इस ख्याल से ही सहम जाते है |
पर फिर तुम्हारे चेहरे से भी,
खुशी का नाम चला जाता है,
"हम ठीक है", कह कर,
तुम्हारा धयान कही और चला जाता है |
इस सवाल को छोड़कर,
फिर हम आगे बढ़ जाते है,
तूफ़ान को रहने के लिए,
घर हम ही दे जाते है |
- प्रेरणा राठी
Nicee poem
ReplyDeleteThank you.....
Deleteकविता अच्छी है.
ReplyDeleteShukriya....
DeleteThank you soo much.....
ReplyDeleteVery emotional & heart touching. Loved it!! ❤️❤️
ReplyDeleteThank you Chetana.....
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