माना कि तेरे साथ चल नहीं पाऊँगा ,
माना कि तेरे साथ हँस नहीं पाऊँगा |
तेरे आँसू, तेरे गम बाँट नहीं पाऊँगा ,
पर तेरा हि हिस्सा बनकर, तुझमे हि बस्ता जाऊँगा |
जाना तो होगा मुझे इस जहान को छोड़ कर ,
खुदा के घर से आया है बुलावा शायद कुछ सोचकर |
तेरे ख्वाबो, हमारे सपनो, अपने वादो को तोड़ कर ,
पर रहूँगा तेरे दिल में हमेशा एक हसींन वक्त बनकर |
इन खूबसूरत आँखों का दरिया हम पर मत बहाना ,
ये बेशुमार मोहब्बत की दौलत हम पर ना लुटाना ,
थाम लेना किसी का हाथ तु ,
और उसमे हि अपना जहान बसा लेना |
तेरे होंठो कि मुस्कुराहट देख, मैं खिल जाऊँगा ,
तेरी आँखों में खुशियों कि चमक देख, मैं तृप्त हो जाऊँगा |
तू जिएगी, तो मैं भी जी जाऊँगा ,
मैं तुझ में हि हूँ, तुझमे हि बसता जाऊँगा |
याद कभी आए मेरी तो चले आना हमारे मकबरे पर ,
मैं तो तेरे गले कि तावीज बन कर, तुझे सलामत करता जाऊँगा |
तेरी साँसे मेरी रूह की धड़कनें है ,
जिस दिन तू ये जहान छोड़ कर जाएगी ,
मैं तुझे आसमान में हि मिल जाऊँगा |
- प्रेरणा राठी
it's so beautiful
ReplyDelete1 number hai
ReplyDeleteSuch a nice poem. Dil ko chu liya
ReplyDeleteसुंदर है ये कविता।
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