Thursday, September 10, 2020

जिंदगी की कहानी

लिखने तो बैठे थे अपनी जिंदगी कि कहानी, 
धीरे -धीरे याद आ गई कई बातें पुरानी। 
लिखते -लिखते जब आज पर आ गएँ तो, 
कुछ पन्ने पलटे और देखा, 
फिर कुछ पन्ने पलटे और देखा, 
फिर कुछ और पन्ने पलटे, तो एहसास हुआ, 
कि हमने अपने बारे में तो कुछ लिखा ही नहीं। 

                             - प्रेरणा राठी

7 comments:

मौत का डर

जिंदगी तो जिंदगी, अब तो मौत से भी डर लगता है, छोड़ जाओगे साथ हमारा, कहाँ वक्त लगता हैं |  ना जाने कब हमारी साँसे हमें धोखा दे जाएँ, ना जाने क...