Wednesday, September 30, 2020

खामोश दिल

इस खामोश दिल की बातें तुम समझ न पाए, 
और कहने कि हिम्मत हम जुटा न पाए। 
खामोश रहे हम तुम्हारा प्यार पाने को, 
फिर भी तरसते रहे तुम्हारा साथ पाने को। 
हवाओ कि तरह हमने रूख ही अपना बदल दिया, 
अपनी ओर बहना तो छोड़ ही दिया। 
हमने खामोश रह कर तुम्हारा सम्मान किया, 
लेकिन तुमने उसे हमारी कमजोरी समझ कर टाल दिया। 
जो भी किया तुम्हारे लिए किया, हर लम्हा तुम्हारे लिए जिया। 
लेकिन आज तुमने हमें खुदगरज कह कर हमारा बहिष्कार किया। 
हम तब भी खामोश थे, हम आज भी खामोश हैं, 
लेकिन इस खामोशी कि वजह आज कुछ और है। 
पहले तुम्हारा प्यार पाना चाहते थे, लेकिन आज हम थक चुके हैं, 
जिंदगी के इस सफ़र में हम तुमसे हार चुके हैं। 
लेकिन तुमसे कोई गिला नहीं है अब हमें, 
मोहब्बत सी हो गई है इस खामोशी से अब हमें। 

                                - प्रेरणा राठी

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