Saturday, April 10, 2021

उलझन - 2

 पल -पल बिखर रहा है दिल,

रूह भी तड़प रही है तिल -तिल | 

लगता है अंदर कुछ बचा ही नहीं,

पर ये जिस्म बेदर्द पिघलता ही नहीं| 

सांस हम ले नहीं पाते,

और जिंदगी हमे छोड़ती नहीं| 

दुनिया से हम जुड़ नहीं पाते,

और रिश्तो की डोरी छूटती नहीं| 


                      - प्रेरणा राठी         

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