Monday, May 13, 2024

मौत का डर

जिंदगी तो जिंदगी, अब तो मौत से भी डर लगता है,
छोड़ जाओगे साथ हमारा, कहाँ वक्त लगता हैं | 

ना जाने कब हमारी साँसे हमें धोखा दे जाएँ,
ना जाने कब इस जहान से हमारा वास्ता हि छूट जाये | 

हमें तुम पर ईमान इतना भी तो नहीं,
शमशान जाने को चार कंधे मिलेंगे भी या नहीं | 

ना जाने हमारा आखरी सफर कैसा होगा,
अग्नि में हो जाँयगे फ़ना, 
या इतना भी हक हमारा ना होगा | 

कबर तो बनाना भी मत हमारी,
तन्हाई में बीत जाएगी उम्र सारी | 

डर शायद मौत का नहीं, 
तुम्हारी बेवफाई का हैं, 
गम दुनियाँ छोड़ जाने का नहीं,
उस तनहाई का हैं | 

हो सके तो एक एहसान हम पर कर देना,
जला देना इस शरीर को, इस रूह को रिहा कर देना | 

फिर शायद उस रब से दुआ कर पाऊ,
इस जहान में कदर हो मोहब्बत की, ये अर्जी कर पाऊ | 

                                     - प्रेरणा राठी 

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उसके बटुए में, और मेरी किताबों में, आज भी तस्वीर किसी और की मिलती हैं, कहने को तो हम जीवन साथी है, पर इश्क़ में तक़दीरें सबकी कहाँ बनती हैं | ...