जिंदगी तो जिंदगी, अब तो मौत से भी डर लगता है,
छोड़ जाओगे साथ हमारा, कहाँ वक्त लगता हैं |
ना जाने कब हमारी साँसे हमें धोखा दे जाएँ,
ना जाने कब इस जहान से हमारा वास्ता हि छूट जाये |
हमें तुम पर ईमान इतना भी तो नहीं,
शमशान जाने को चार कंधे मिलेंगे भी या नहीं |
ना जाने हमारा आखरी सफर कैसा होगा,
अग्नि में हो जाँयगे फ़ना,
या इतना भी हक हमारा ना होगा |
कबर तो बनाना भी मत हमारी,
तन्हाई में बीत जाएगी उम्र सारी |
डर शायद मौत का नहीं,
तुम्हारी बेवफाई का हैं,
गम दुनियाँ छोड़ जाने का नहीं,
उस तनहाई का हैं |
हो सके तो एक एहसान हम पर कर देना,
जला देना इस शरीर को, इस रूह को रिहा कर देना |
फिर शायद उस रब से दुआ कर पाऊ,
इस जहान में कदर हो मोहब्बत की, ये अर्जी कर पाऊ |
- प्रेरणा राठी
You touched my soul by your words
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