Friday, August 21, 2020

फकीर

फकीर हू, 
फकीर ही सही। 
दुनिया के इन झूठे रिश्तो की,
मुझे कोई जरूरत नहीं। 
अक्सर लग जाती है, 
अमीरो के घरो में आग।
और उसे बुझाने, 
कोई आता ही नहीं। 

                    - प्रेरणा राठी

7 comments:

मौत का डर

जिंदगी तो जिंदगी, अब तो मौत से भी डर लगता है, छोड़ जाओगे साथ हमारा, कहाँ वक्त लगता हैं |  ना जाने कब हमारी साँसे हमें धोखा दे जाएँ, ना जाने क...