Friday, August 21, 2020

फकीर

फकीर हू, 
फकीर ही सही। 
दुनिया के इन झूठे रिश्तो की,
मुझे कोई जरूरत नहीं। 
अक्सर लग जाती है, 
अमीरो के घरो में आग।
और उसे बुझाने, 
कोई आता ही नहीं। 

                    - प्रेरणा राठी

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उसके बटुए में, और मेरी किताबों में, आज भी तस्वीर किसी और की मिलती हैं, कहने को तो हम जीवन साथी है, पर इश्क़ में तक़दीरें सबकी कहाँ बनती हैं | ...