Monday, August 24, 2020

खामोशीया

हम कुछ कहते नहीं, इसका मतलब ये नहीं कि हमे दर्द नहीं होता, 
हम कुछ जताते नहीं, इसका मतलब ये नहीं कि हमे कुछ महसूस नहीं होता। 
दिल शोरगुल हैं, मगर ज़बान खामोश है, 
समझ न पाओगे तुम, इसे शिकायत है। 
                और वैसे भी -
अपना हाल-ऐ-दिल किस-किस को सुनाएँ हम,
अपनी दासता-ऐ-जिदंगी किस-किस को समझाएँ हम।
समझना हैं तो हमारी खामोशी को ही समझ जाओ, 
कुछ कह न पाएँगे हम, और न ही तुम हमें समझाओ। 
पतझड़ के टूटे पत्तों की तरह, तुमने हमें बेकार समझ लिया, 
लेता है एक नया जीवन जन्म, मिट्टी में दो अगर इन्हें मिला। 
छोड़ सा दिया है हमारे दिल ने तुमसे उम्मीद लगाना, 
रोज अपने दुखडे सुनाने का तुम ढूंढ ही लेते हो बहाना। 
हमारे दिल का क्या है जनाब, 
कल भी अकेला था और आज भी अकेला है। 
दो पल की है जिंदगानी, और चार दिन का मेला है। 
फिर तो ये शरीर भी मिट्टी है, और ये रूह भी हवा है। 
किसने देखा है आगे, जिंदगी का यही खेला है। 

                           - प्रेरणा राठी

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