उसके बटुए में, और मेरी किताबों में,
आज भी तस्वीर किसी और की मिलती हैं,
कहने को तो हम जीवन साथी है,
पर इश्क़ में तक़दीरें सबकी कहाँ बनती हैं |
अक्सर जब आँखें टकराती है हमारी,
तो उनमे बस ख़ामोशी हि दिखती है,
और वो ख़ामोशी हमसे चींख-चींख कर कुछ कहती हैं |
फिर हमें देख कर उसके चेहरे पर वो मुस्कुराहट आ जाती है,
अपने झूठे होने का बयान वो खुद ही दे जाती हैं |
उसे देख कर होंठ हमारे भी मुस्कुरा देते है,
पर हाल-ऐ-दिल का फलसफा सुनाने से कतरा जाते हैं |
दास्ता तो उसे भी मालूम है हमारी मोहब्बत के कतल की,
सुकून है, समझ जाएँगे कहानी, उसके दिल पर चढ़े कफ़न की |
कभी साथ नहीं होते, कभी साथ होकर भी साथ नहीं होते,
भर लेते है प्याले जाम के, पर रु-ब-रु नहीं होते |
जीवन साथी ना सही पर दोस्त शायद बन गएँ है,
इस रिश्ते में कहने को तो कुछ नहीं,
पर एक दूसरे के हालात समझ गएँ है |
जो आपकी ख़ामोशी को भी समझ जाए, ऐसा दोस्त कहाँ मिलता है,
जो आपका होकर भी आपका ना हो, ऐसा जीवन साथी कहाँ मिलता है |
कुछ अधूरा होकर भी पूरा हो जाता है,
और कुछ पूरा होकर भी अधूरा रह जाता है,
ये इश्क़ है जनाब, जो दिग्गजों को भी शह और मात दे जाता है |
- प्रेरणा राठी