Kora Kagaz means a blank page, and a blank page can be used by anyone to express their emotions, feeling, and experiences in whichever form they would like to. So, here are some poetries which is also a form of expressing emotions, feelings and experiences, to which people can relate in different ways at different points of time. I hope my poetries would be relatable to people reading them.
Sunday, August 30, 2020
ज़िन्दगी
Friday, August 28, 2020
महफ़िलें
Monday, August 24, 2020
खामोशीया
Friday, August 21, 2020
फकीर
Tuesday, August 18, 2020
दिल बेचारा
Saturday, August 15, 2020
हिंदुस्तान हमारा हैं।
Thursday, August 13, 2020
A tribute to Sushant Singh Rajput
घर से तो निकला था लेकर सपने हजार,
बनाना था चाँद पर घर, करना था सबके दिलों पे राज।
जो भी किया दिल से किया,
जिंदगी का हर लम्हा मैंने खुल कर जिया।
शुरूआत छोटी थी पर इरादे बडे़ थे,
कामयाबी तो मिलनी ही थी, मेरे हौसले जो बुलंद थे।
कुछ लोगो का साथ मिला, कुछ लोगों ने कर लिया किनारा,
फिर भी चलता गया मैं, भले ही था गमो का मारा।
दुनिया वालो ने मेरे खिलाफ, कर ली बुलंद अपनी आवाज,
मचा था मेरे दिल मे भी शोर, मगर खामोश थी जबान।
कहता रहा अपने दिल से, कि तू चल तुझे कोई हरा नहीं सकता,
बस चलता जा तू, कि तुझे कोई मिटा नहीं सकता।
मगर नफरत के आगे मोहब्बत फिकी पड़ गई,
मेरी जिंदगी की कहानी बरबादी की तरफ मुड गई।
सम्भालना चाहता था खुद को उस आखिरी लम्हे तक,
चाहता था कि खड़ा हो जाऊँ फिर एक बार अपने पैरों पर।
मगर अंधेरा इतना घना था कि उम्मीद की कोई रोशनी नजर ही न आई,
चारो तरफ ढूंढा मगर, नसीब मे बस तनहाई ही आई।
चहरा तो सबने देखा मेरा, मगर कोई दिल नहीं देख पाया,
बाते तो सबने की मुझसे, मगर कोई मेरी खामोशी नहीं सुन पाया।
तन्हाईयों की गहराइयों में डूबता चला गया दिल मेरा, कि उसे कोई ढूंढ ही नहीं पाया।
पल -पल तड़प रहा था दिल,
रूह भी मर रही थी मेरी तिल -तिल।
दम घुट रहा था मेरा उस अंधेरे मे,
इसलिएँ जिंदगी को ही अलविदा कह दिया मैने चार दिवारो के पहरे मे।
कायर न समझना मुझे, बेबस हो गया था मैं,
इस दुनिया से लड़ते -लड़ते खुद ही हार गया था मैं।
जानता हूँ जो मैंने किया, वो सही नहीं,
मगर मेरे जैसे लोगों की इस दुनिया में कोई कदर नहीं।
जा रहा हूँ अब मैं ये दुनिया छोड़ कर,
रिश्ते नाते सब इस दुनिया से तोड़ कर।
मगर याद रखना, फिर लौटू़ंगा उस खुदा के घर से लेकर एक नया जीवन,
और तब न रोक पाएगा कोई मुझे लहराने से अपनी जीत का परचम।
- प्रेरणा राठी
उसके बटुए में, और मेरी किताबों में, आज भी तस्वीर किसी और की मिलती हैं, कहने को तो हम जीवन साथी है, पर इश्क़ में तक़दीरें सबकी कहाँ बनती हैं | ...
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जिंदगी तो जिंदगी, अब तो मौत से भी डर लगता है, छोड़ जाओगे साथ हमारा, कहाँ वक्त लगता हैं | ना जाने कब हमारी साँसे हमें धोखा दे जाएँ, ना जाने क...
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हम ढूँढ़ते तो है तुम्हें इस ज़माने में, पता नहीं मिलोगे भी या नहीं ? कोई ख्वाब हो या हो हकीकत तुम, पता नहीं कभी जान पाएँगे या नहीं ? तुम्हारे ...
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ये बरसता बादल तेरी यादों कि नमी छोड़ जाता है, मिटटी का यु गिला होना, हमारी प्यास जगा जाता है | उस पेड़ की हरी पतियों पर गिरी वो बारिश की बूं...